राम लखन टुंगरी
दिशापर्यटन स्थल : राम लखन टुंगरी
ग्राम/प्रखंड : कुम्हरी, चास
श्रेणी: D (स्थानीय पर्यटन स्थल)
जिला मुख्यालय से दुरी : 48 km (सड़क मार्ग से दुरी)
Coordinates: 23.558814° N. 85.949775° E
राम लखन टुंगरी : त्रेता युग में पुरुषोत्तम श्री राम एवं मां सीता के द्वारा 14 साल के वनवास काल
के दौरान व्यतीत कीये गए थे कुछ पल।
भगवान राम ने अपने वनवास काल के 14 साल जंगलों में घूम-घूमकर बिताए है. उस दौरान झारखंड के जंगलों में भी भगवान राम ने समय बिताया है. वहां के पहाड़ों और अन्य जगहों पर राम से जुड़े कई स्थान बताए जाते हैं। ऐसा ही एक स्थान बोकारो के कसमार में भी है जहां से राम गुजरे है और यहां उनके पैरों के निशान है।
मान्यता के अनुसार, कसमार के राम लखन दुगरी (छोटा पहाड) पर राम के पैरों के निशान है। जहां राम के पद चिन्ह हैं उस जगह को पकाहा दहके नाम से भी जानते है. कहा जाता है कि कमसार में ही माता सीता की जिद पर भगवान राम सोने की हिरण की तलाश में निकले थे। उसे मारने के लिए जो तीर चलाया था यह जिस पहाडी पर लगा वहां से दूध की धारा निकल पड़ी थी। कहते हैं कि एक चरवाहे की शरारत के कारण दूध की धारा पानी में बदल गई जहां अब जलकुंड बन गया है।
धार्मिक महत्व-
राम जी से जुड़े होने की वजह से यहां रामनवमी धूम धाम से मनाई जाती है. लोग हनुमान जी के चित्र वाले पताका लेकर जुलूस निकालते हैं। इन्हें महावीरी पताका कहते है. लोगों में एक दूसरे से बड़ी पताका निकालने का स्पर्धा होता है। यहां भगवान राम को प्रसाद में सिर्फ मिश्री का भोग लगाया जाता है और प्रसाद, वही लोगों को बांटा जाता है।
औषधिय महत्वः-
इस इलाके में एक खास किस्म का पौधा भी दिखता है जिसे लोग संजीवनी बूटी या सोनपापड़ी का पौधा कहते हैं। माना जाता है कि इसे खाने से पेट से जुड़ी बीमारियां ठीक हो जाती हैं।
कैसे पहुंचें:
बाय एयर
निकटतम हवाई अड्डाः बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (IXR) रांची
ट्रेन द्वारा
निकटतम रेलवे स्टेशन बोकारो रेलवे स्टेशन से राम लखन दुगरी की दूरी लगभग 42 किमी है।
सड़क के द्वारा
निकटतम बस स्टैंड बोकारो बस स्टैंड