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लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़

Luguburu Ghantabari

लुगु बुरु घंटाबारी धोरोम गढ़ को सदियों से संथाल आदिवासियों की आस्था के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित किया गया है और यह संथाल आदिवासियों के गौरवशाली अतीत और सांस्कृतिक धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है। देश-विदेश में रहने वाले संथाल लोग लुगु बाबा को अपने देवता और धार्मिक गुरु के रूप में पूजते हैं। ऐतिहासिक लुगु बुरु घंटाबारी धोरोम गढ़ दरबार चट्टानी पहाड़ की तलहटी में स्थित है। सदियों पहले इस चट्टान पर लुगु बाबा की अध्यक्षता में संथालों के पूर्वजों ने लगातार 12 वर्षों तक चर्चा की और संथाल समाज के सामाजिक रीति-रिवाजों और अनुष्ठानों (जन्म से मृत्यु तक) की रचना की और एक संविधान बनाया, जो आज भी कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दो दिवसीय धार्मिक सम्मेलन का आयोजन करता है, जिसे झारखंड राज्य का राज्य उत्सव होने का गौरव प्राप्त है। इसमें सामाजिक उत्थान, भाषा, साहित्य, संस्कृति, धर्म और शिक्षा के विकास के लिए चर्चा की जाती है। इस महासम्मेलन में भाग लेने के लिए देश-विदेश से लाखों संथाल भक्त आते हैं और लुगु बाबा के दर्शन करते हैं और इच्छा व्यक्त करते हैं। ऐतिहासिक गुफा (गिरी दोलन) पहाड़ की ऊँची चोटी पर स्थित है। इस गुफा के अंदर लुगु बाबा बैठे हैं। यहाँ पहुँचने के लिए दरबार चट्टानी से 7 किलोमीटर का कठिन रास्ता तय करना पड़ता है। हर अमावस्या और पूर्णिमा सहित साल भर भक्त यहां आते रहते हैं। संथालों का अंतर्राष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मेलन औपचारिक रूप से 2001 में यहाँ शुरू किया गया था।

तेनुघाट डैम

Tenughat Dam

तेनुघाट डैम झारखंड के प्राकृतिक सौंदर्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दामोदर नदी पर निर्मित एक विशाल बांध है, जो झारखंड की हरियाली और शांत वातावरण का अद्वितीय अनुभव प्रदान करता है। जो अपने विशाल जलाशय और प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है। यह बांध मुख्य रूप से नदी पर बना हुआ है और इसका उद्देश्य सिंचाई, जल आपूर्ति और बिजली उत्पादन है। तेनुघाट बांध का निर्माण 1972 में शुरू हुआ और 1985 में इसे चालू किया गया। 1980 में दामोदर नदी पर निर्मित, यह 166 फीट ऊंचा है, जिसका विस्तार 30 वर्ग किलोमीटर है। अपने सुंदर जलाशय, हरे-भरे परिदृश्य और मनोरम दृश्यों के कारण यह पर्यटकों के बीच बहुत लोकप्रिय है।

दलाही कुंड

Dalahi Kund

दलाही कुड बोकारो जिले में स्थित एक लोकप्रिय धार्मिक और प्राकृतिक स्थान है, जो बोकारो जिला के जरीडीह प्रखंड में स्थित है। यह कुंड स्वयं भू और धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है और स्थानीय श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

भैरव स्थान

Bhairav place

झारखंड के एक गिने-चुने ऐतिहासिक धार्मिक स्थलों में एक भैरव नाथ स्थान है, यह स्थान बोकारो जिला के चंदनकियारी प्रखंड मुख्यालय से लगभग 10 किलो मीटर की दूरी पर पूरब दिशा में अवस्थित भोजूडीह के निकट यह भैरव स्थान अपने आप में इस कदर का इतिहास एवं पुरातत्व को भी समेटे हुए है। जहां हमें एक ही स्थल पर आध्यामिकता शाश्वतता पुरातनता एवं ऐतिहासिकता की अनुभूति हो जाती है। यहां पूजा-अर्चना करने के लिए भक्तों की भीड़ लगी रहती है। लोगों का मानना है कि यहां जो भी मन्नतें मानी जाती है वह जरूर पूरा होता है।

सीता फॉल

Sita Fall

बोकारो जिले के चास ब्लॉक में स्थित सीता फॉल अपनी प्राकृतिक खूबसूरती, शीतल जलप्रपात और दामोदर नदी के साथ एक आदर्श पर्यटन स्थल है। यह स्थल पिकनिक के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय है, खासकर बरसात के मौसम में जब फॉल की सुंदरता अपने चरम पर होती है।

राम लखन टुंगरी

Ram Lakhan Tungri

भगवान राम ने अपने वनवास काल के 14 साल जंगलों में घूम-घूमकर बिताए है. उस दौरान झारखंड के जंगलों में भी भगवान राम ने समय बिताया है. वहां के पहाड़ों और अन्य जगहों पर राम से जुड़े कई स्थान बताए जाते हैं। ऐसा ही एक स्थान बोकारो के कसमार में भी है जहां से राम गुजरे है और यहां उनके पैरों के निशान है।

मान्यता के अनुसार, कसमार के राम लखन दुगरी (छोटा पहाड) पर राम के पैरों के निशान है। जहां राम के पद चिन्ह हैं उस जगह को पकाहा दहके नाम से भी जानते है. कहा जाता है कि कमसार में ही माता सीता की जिद पर भगवान राम सोने की हिरण की तलाश में निकले थे। उसे मारने के लिए जो तीर चलाया था यह जिस पहाडी पर लगा वहां से दूध की धारा निकल पड़ी थी। कहते हैं कि एक चरवाहे की शरारत के कारण दूध की धारा पानी में बदल गई जहां अब जलकुंड बन गया है।

चेचका धाम

चेचका धाम

चेचका धाम बोकारो जिले के एक प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। यह भगवन शिव का स्वयंभू मंदिर हैं। यह स्थान मुख्य रूप से हिंदू श्रद्धालुओं के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ श्रद्धालु दूर-दूर से पूजा करने के लिए आते हैं। मान्यता के अनुसार, यहाँ भक्तजनों की मनोकामना पूर्ण होती है।

चेचका धाम को चेचकेश्वर धाम के नाम से भी जाना जाता है इसके अलावा भगवन शिव के बिराजने की वजह से मिनी बाबा धाम के नाम से भी जाना जाता है।

कोनार बांध

Konar Dam

कोनार बांध झारखंड राज्य के बोकारो जिले में स्थित एक प्रमुख जलाशय है। यह बांध कोनार नदी पर बनाया गया है और इसकी स्थापना 1980 के दशक में हुई थी। कोनार बांध का मुख्य उद्देश्य जल आपूर्ति, सिचाई, बाढ़ नियंत्रण और बिजली उत्पादन है। यह बांध झारखंड और बिहार राज्य के बीच पानी की आपूर्ति करने का भी काम करता है। कोनार बांध 4,535 मीटर (14,879 फीट) लंबा और 48.77 मीटर (160.0 फीट) ऊंचा है। जब यह भरा होता है, तो जलाशय 27.92 किमी के क्षेत्र को कवर करता है।

मृगी खोह

Mrugi Khoh

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का बोकारो के कसमार से भी नाता रहा है। मान्यता के अनुसार बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में भगवान राम का आगमन हुआ था। लोक मान्यता के अनुसार कसमार प्रखंड के मृगीखोह एवं राम लखन टुंगरी (छोटा पहाड़) पर भगवान श्रीराम का कथित पद चिन्ह है।

गवई बराज

Gawai Barrage

गवई बराज झारखंड राज्य के बोकारो जिले में स्थित एक प्रमुख जल संसाधन परियोजना है। यह बराज गवई नदी पर बना हुआ है, जो दामोदर नदी की एक सहायक नदी है। इसे जल संरक्षण, सिंचाई, पेयजल आपूर्ति और बाढ़ नियंत्रण जैसे उद्देश्यों के लिए विकसित किया गया है।

सतनपुर पहाड़

Satanpur hill

सतनपुर पहाड़ बोकारो जिला के चास प्रखंड में स्थित है। इस पहाड़ के ऊपर एक ईमारत बानी हैं जिसे सेमाफोर टावर (Semaphore Tower) कहते है, इसे लगभग 200 साल पहले ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाया गया था।

यह सेमाफोर टावर्स बड़ी दूरी तक संदेश प्रसारित करने का काम करते थे। यह अंग्रजो का टेलीग्राम कम्युनिकेशन सिस्टम था। यह सूचना भेजने या देने की एक विधि है जिसमें आँखों से दिखने वाली वस्तुओं का उपयोग किया जाता है। यह दृष्य चीज ऊँचाई पर लगी होती है (जैसे किसी टॉवर के ऊपर)। वस्तु किस स्थिति में है, इसी से सूचना का पता चलता था।

बनासो मंदिर

Luguburu Ghantabari

बोकारो जिला अंतर्गत बेरमो प्रखण्ड के जारंगडीह में स्थित बनासो मंदिर कई दशक से आस्था का केन्द्र बना हुआ है।

गरगा डैम

Garga Dam

“गरगा डैम (Garga Dam)” बोकारो जिले, झारखंड में स्थित एक प्रमुख जलाशय और जलस्रोत है। यह डैम बोकारो शहर से लगभग 12 किलोमीटर दूर गरगा नदी पर स्थित है और यह क्षेत्रीय जल आपूर्ति और सिंचाई के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। गरगा डैम का निर्माण 1970 के दशक में किया गया था और यह बोकारो और आसपास के इलाकों में जल आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत बन गया है।

दुर्गा पहाड़

Durga Pahari

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कसमार प्रखंड के क्षेत्र के दुर्गापुर पंचायत में अवस्थित दुर्गा पहाड़ी न सिर्फ प्राकृतिक खुबसूरती बल्कि धार्मिक व सामाजिक मान्यताओं से जुड़ी ऐतिहासिक घटनाक्रम की कई बातें भी अपने साथ समेटे हुई खड़ी है। लोगों की माने तो इस पहाड़ी के तलहटी पर कभी दुर्गा प्रसाद देव नामक राजा का गढ़ हुआ करता था। तलहटी में राजा का महल था जो कि सिर्फ अवशेष ही रह गया है। यहां एक छोटा कुआं है। कुआं के करीब एक छोटा तालाब है। जिसे रानी पोखर के नाम से जाना जाता है।

सेवाती घाटी

Sewati Valley

झारखंड के कसमार ब्लॉक में स्थित सेवाती घाटी एक खूबसूरत पर्वतीय स्थल है। अपनी शांत हरियाली, ऊंचे पहाड़ों और सुरम्य वातावरण के कारण यह प्रकृति प्रेमियों और सुकून की तलाश में रहने वालों के लिए एक अद्‌भुत गंतव्य है।