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मृगी खोह

दिशा
श्रेणी धार्मिक

पर्यटन स्थल : मृगीखोह

ग्राम / प्रखंड: डुमूरकुदर, कसमार

श्रेणी: D (पेड पर्यटन स्थल)

जिला मुख्यालय से दुरी : 42 km (सड़क मार्ग से दुरी)

Coordinates: 23.543365° N, 85.941153° E

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का बोकारो के कसमार से भी नाता रहा है। मान्यता के अनुसार बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में भगवान राम का आगमन हुआ था। लोक मान्यता के अनुसार कसमार प्रखंड के मृगीखोह एवं राम लखन टुंगरी (छोटा पहाड़) पर भगवान श्रीराम का कथित पद चिन्ह है।

मृगीखोह का इतिहास :

मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम का आगमन यहां हुआ था। तब भगवान श्रीराम 14 साल के वनवास पर थे। देवी सीता की जिद व इच्छा को पूरी करने के लिए स्वर्ण मृग का पीछा करते हुए भगवान यहां पहुंचे थे। कहा जाता है कि यहां स्वर्ण मृग को एक खोह में प्रवेश करते देखकर श्रीराम ने तीर चलाया था। वह तीर खोह के जिस हिस्से से टकराया था, वहां से दूध की धार निकलने लगी थी। किदवंती के अनुसार, इस खोह से काफी सालों तक दूध की धार बहती रही लेकिन बाद में किसी चरवाहे की ‘शरारत के कारण दूध की बजाय पानी की धार बहने लगी, जो आज भी जारी है।

भगवान राम के पदचिह्न

डूमरकुदर पहाड़ी पर भगवान श्रीराम के कथित पदचिह्न भी मौजूद हैं। पहाड़ी में दो अलग-अलग पदचिह्न है। एक झरना के पास हैं और दूसरा पहाड़ की चोटी पर मौजूद है।

मकर सक्रांति पर टुसू मेला का आयोजन

यहां पर मंदिर और खोह के बीच से झरना के रूप में एक नदी बहती है। झरना, पहाड़ एवं जंगल-झाड़ के कारण अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी लोगों को यह जगह काफी लुभाता है। यहां प्रत्येक साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल टुसु मेला लगता है।

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

निकटतम हवाई अड्डाः बिरसा मुंडा हवाई अड्डा (IXR) रांची

ट्रेन द्वारा

निकटतम रेलवे स्टेशनः बोकारो रेलवे स्टेशन से मृगीखोह की दूरी लगभग 36 किमी है।

सड़क के द्वारा

निकटतम बस स्टैंडः बोकारो बस स्टैंड (नया मोड़)