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लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़

दिशा
श्रेणी धार्मिक

पर्यटन स्थल : लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़

ग्राम / प्रखंड :- कोदवाटांड़, गोमिया

श्रेणी: A (ग्रेड पर्यटन स्थल)

जिला मुख्यालय से दुरी :- 80 km (सड़क मार्ग से दुरी)

Coordinates: 23.750486° N, 85.755958° E

 

लुगू बुरूः प्रकृति, संस्कृति और आध्यात्म का संगम

झारखंड के पर्यटन मानचित्र पर एक मनोरम स्थल

 

लुगू बुरु घाटा बाड़ी धोरोम गाढ़ सदियों से संथाल आदिवासियों की आस्था का महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में स्थापित है तथा संथाल आदिवासियों के लिए गौरवशाली अतीत एवं सांस्कृतिक धार्मिक आस्था से जुड़ा है।देश एवं विदेश में रह रहे संथाली लुगू बाबा की पूजा अपने आराध्य देवता एवं धर्मगुरु के रूप में करते हैं। पहाड़ की तलहट्टी पर ऐतिहासिक लुगू बुरु घांटा बाड़ी धोरोम गाढ़ दोरबार चट्टानी अवस्थित है। इस चट्टान पर सदियों पूर्व संथालो के पूर्वजों ने लुगु बाबा की अध्यक्षता में 12 वर्षों तक लगातार विचार विमर्श कर संथाल समाज के सामाजिक प्रथा रीति रिवाज (जन्म से मरण तक) की रचना की थी एवं संविधान बनाई थी जो अभी भी कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर दो दिवसीय धर्म महासम्मेलन का आयोजन होता है जिसे झारखंड राज्य का राजकीय महोत्सव होने का गौरव प्राप्त है। इसमें सामाजिक उत्थान भाषा, साहित्य, संस्कृति, धार्मिक एवं शिक्षा के विकास हेतु चर्चा की जाती है। इस महासम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए देश विदेश से लाखों की संख्या में संथाल श्रद्धालु आते हैं और लुगु बाबा का दर्शन कर मन्नत मांगते हैं। पहाड़ की ऊंची चोटी पर ऐतिहासिक गुफा (घिरी दोलन) अवस्थित है। इस गुफा के अंदर लुगु बाबा विराजमान है यहां तक पहुंचाने के लिए दोरबार चट्टानी से 7 किलोमीटर का दुर्गम रास्ता तय करना पड़ता है यहां प्रत्येक अमावस्या एवं पूर्णिमा सहित सालों भर श्रद्धालुओं का आगमन होते रहता है यहां संथालियों का अंतरराष्ट्रीय सरना महाधर्म सम्मेलन औपचारिक रूप से 2001 में शुरू किया गया था।

लुगुबुरु शब्द संथाल जनजाति की भाषा से लिया गया है और इसका अर्थ उनकी संस्कृति और परंपरा में गहरा महत्व रखता है।

लुगु का अर्थ होता है “श्रद्धेय देवता” :

लुगू बाबा संथाल जनजाति के धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में एक पवित्र और श्रद्धेय देवता के रूप में जाने जाते हैं। उन्हें प्रकृति और विशेष रूप से पर्वतों का संरक्षक माना जाता है।

बुरु का अर्थ भी “पहाड़ी” या “पर्वतीय स्थल” होता है।

इस प्रकार, लुगुबुरु का शाब्दिक अर्थ होता है “श्रद्धेय देवता पहाड़”। यह नाम उस पर्वत को संदर्भित करता है, जो संथाल समुदाय के लिए धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से अत्यंत पूजनीय है। यह स्थान उनके आराध्य देवता की उपस्थिति और प्रकृति की पूजा के केंद्र के रूप में जाना जाता है।

लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोम गाढ़ झारखंड राज्य के बोकारो जिले में स्थित एक प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल है। यह स्थल संथाल जनजाति के लोगों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। यहाँ विभिन्न प्रकार की वनस्पतियाँ और जीव-जंतु भी देखने को मिलते है।

धार्मिक महत्वः

लुगुबुरु घंटाबाड़ी संथाल जनजाति के “सरना धर्म” के मुख्य पूजा स्थलों में से एक है। इसे संथाल समाज का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक स्थल माना जाता है। यह स्थान आदिवासी रीति-रिवाजों और परंपराओं के संरक्षण और पालन का प्रतीक है।

भौगोलिक स्थितिः

यह स्थान हरी-भरी पहाड़ियों और घने जंगलों से घिरा हुआ है। इसकी प्राकृतिक सुंदरता इसे एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में परिभाषित करती हैं। यहां का शांत वातावरण और आध्यात्मिक आभा लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 200 से 540 मीटर (660 से 1,770 फीट) है।

ऐतिहासिक महत्वः

लुगुबुरु का उल्लेख आदिवासी इतिहास में उनके पारंपरिक संघर्षों और स्वतंत्रता संग्राम में भी होता है। इसे “आदिवासी अस्मिता और संस्कृति” का केंद्र माना जाता है।

संक्षेप मेंः

लुगुबुरु घंटाबाड़ी केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि आदिवासी संस्कृति, प्रकृति और परंपराओं का जीता-जागता उदाहरण है। यह आदिवासी समुदाय की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतिनिधित्व करता है।

पधारने का उचित समय

लुगू बुरू की यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय है नवंबर और दिसंबर, जब कार्तिक पूर्णिमा का मेला और पहाड़ी के ठंडे वातावरण का अनुभव एक साथ किया जा सकता है।

लुगूबुरु तक का मार्ग पहाड़ी और घुमावदार है, इसलिए वाहन आरामदायक और सुरक्षित होना चाहिए।

यदि आप “लुगूबुरु महोत्सव” के समय यात्रा करते हैं (अक्टूबर-नवंबर), तो सार्वजनिक परिवहन और विशेष सुविधाजनक व्यवस्थाएं मिल सकती हैं।

फोटो गैलरी

  • लूगुबरु घंटाबड़ी
  • लुगबुरु घंटाबड़ी का स्वागत बोर्ड।
  • लूगुबरु घंटाबाड़ी

कैसे पहुंचें:

बाय एयर

सबसे नजदीकी हवाई अड्डा बिरसा मुंडा एयरपोर्ट (रांची) है, जो लुगूबुरु से लगभग 120-130 किमी की दूरी पर स्थित है। एयरपोर्ट से आप टैक्सी या बस के माध्यम से बोकारो और फिर लुगूबुरु पहुँच सकते हैं।

ट्रेन द्वारा

• बोकारो स्टील सिटी रेलवे स्टेशन, लुगूबुरु के सबसे नजदीक रेलवे स्टेशन है। यह भारत के कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। • बोकारो स्टेशन से लुगूबुरु की दूरी लगभग 69 किमी है। • धनबाद जिला के गोमो स्टेशन से लुगूबुरु की दूरी लगभग 62 किमी है। • स्टेशन से आप टैक्सी या निजी वाहन किराए पर लेकर जा सकते हैं।

सड़क के द्वारा

• निकटतम बस स्टैंडः गोमिया बस स्टैंड, लालपानी रोड बोकारो पहुंचने के बाद, आप चंद्रपुरा या तुलिन रोड की तरफ से लुगूबुरु के लिए टैक्सी या स्थानीय वाहन से जा सकते हैं। झारखंड के अन्य शहरों (रांची, धनबाद, हजारीबाग) से बोकारो तक नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।